सावन सोमवार व्रत कथा : Sawan vrat katha

सावन सोमवार व्रत कथा : Sawan vrat katha

आज से सावन मास और भगवान शिव की आराधना का महोत्सव शुरू हो गया है। धर्म के अनुसार पूजा का तीसरा क्रम भी भगवान शिव है। शिव ही अकेले ऐसे देव हैं जो साकार और निराकार दोनों हैं। श्रीविग्रह साकार और शिवलिंग निराकार। भगवान शिव रुद्र हैं। हम जिस अखिल ब्रह्मांड की बात करते हैं और एक ही सत्ता का आत्मसात करते हैं, वह कोई और नहीं भगवान शिव अर्थात रुद्र हैं।
रुद्र हमारी सृष्टि और समष्टि है। समाजिक सरोकार से भगवान शिव से ही परिवार, विवाह संस्कार गोत्र, ममता, पितृत्व, मातृत्व, पुत्रत्व, सम्बोधन संबंध आदि अनेकानेक परम्पराओं की नींव पड़ी। भगवान शिव के बिना आस्था हो सकती है और न पार्वती जी के बिना श्रद्धा । शिव और शक्ति परस्पर तीनों लोकों के अधिष्ठाता हैं। पहली गर्भवती माँ जगतजननी पार्वती हैं। पहले गर्भस्थ शिशु कार्तिकेय हैं। पहले संबोधन पुत्र गणेश जी हैं। यह लघु परिवार ही सृष्टि का आधार है। वैवाहिक गुणों का मिलान मातृत्व और पितृत्व गुणों का ही संयोग है।

सावन मास क्या है ?

इस मास भगवान शिव और पार्वती जी का मांगलिक मिलन हुआ। विवाह। भोले नाथ का विवाह भी लोकमंगलकारी है। इसलिये सामाजिक सरोकार से भी विवाह को यही दर्ज़ा मिला है। परिवार चलता रहे। वंश परंपरा आगे बढ़ती रहे। भगवान का विवाह भी संकटकाल में हुआ।

तारकासुर…अमृत वरदान
तारकासुर ने अपने जप तप से ब्रह्मा जी वरदान मांगा कि वह सदा सर्वदा अजर और अमर रहे। वह कभी मरे ही नहीं। ब्रह्मा जी बोले, हरेक प्राणी की आयु निश्चित गया। जो आया है, उसे जाना भी होगा। दो बार ब्रह्मा जी वरदान दिए बिना लौट गए। तीसरी बार बात कुछ बनी। तारकासुर चतुर था। उसने कहा..ठीक है, यदि मेरी मृत्यु हो तो भगवान शिव के शुक्र से उतपन्न पुत्र के हाथों हो। ब्रह्मा जी ने तथास्तु कह तो दिया लेकिन संकट बढ़ गया। असुर ने तबाही मचानी प्रारम्भ कर दी। देवता भी ब्रह्मा जी को कहने लगे, क्या वरदान दे आये हो। न भगवान शिव विवाह करेंगे। न उनके पुत्र होगा। न तारकासुर मरेगा। बहुत अनुनय विनय के बाद भगवान शिव विवाह करते हैं। कार्तिकेय का जन्म होता है।

और तारकासुर का अंत।
तारकासुर क्या है? हमारे नेत्र ही तारकासुर हैं। इसके विकारों का अंत भी शिव संस्कृति में हैं। नेत्र काम का घर है। इस घर में परिवार ही वास कर सकता है। इसलिये भगवान शिव तीन नेत्र रखते हैं। दो नेत्र सबके पास हैं। तीसरा नेत्र सिर्फ शिव के पास है। जो पूरे संसार को अपने परिवार की तरह देखे, वही शिव यानी कल्याण के देव हैं। शिव सृष्टि के संचालक मंडल का प्रतिनिधित्व करते हैं। अनुशासन स्थापित करते हैं। वह मृत्यु के देव हैं। संसारी दैहिक प्राणी जिन जिन चीजों से दूर भागता है। वह उसे अंगीकार करते हैं।

तारकासुर क्या है?

हमारे नेत्र ही तारकासुर हैं। इसके विकारों का अंत भी शिव संस्कृति में हैं। नेत्र काम का घर है। इस घर में परिवार ही वास कर सकता है। इसलिये भगवान शिव तीन नेत्र रखते हैं। दो नेत्र सबके पास हैं। तीसरा नेत्र सिर्फ शिव के पास है। जो पूरे संसार को अपने परिवार की तरह देखे, वही शिव यानी कल्याण के देव हैं। शिव सृष्टि के संचालक मंडल का प्रतिनिधित्व करते हैं। अनुशासन स्थापित करते हैं। वह मृत्यु के देव हैं। संसारी दैहिक प्राणी जिन जिन चीजों से दूर भागता है। वह उसे अंगीकार करते हैं।
भूत प्रेत पिशाच सब उनके गण हैं। सर्प उनके गले में हैं। विष का पान करके वह नीलकंठ हो गए। गंगा ने उच्श्रृंखलता दिखलाई तो उनको अपनी जटाओं में समेट लिया। केवल एक धारा छोड़ी जो अमृत कहलाई। यही एकतत्व भगवान शिव हैं। भला कोई चौमासे में विवाह करता है। शिव ने किया। इसलिये अन्य के लिये वर्जित है क्यों कि संसार का दूल्हा तो एक ही हो सकता है। प्राकृतिक रूप से भी सामाजिक द्रष्टि से इन चार महीनों में विवाह वर्जित होते हैं। क्यों कि यह समय भगवान शिव के गणों के आगमन का है।

सावन मास में कैसे करें भगवान शिव की पूजा

सावन मास में आप घर में रहकर भी भगवान शिव की अराधना कर सकते हैं।

  • 1- शिव पुराण पढ़े। संधिकाल अवश्य पढ़ें।
  • 2-शिव गायत्री की एक माला करें अन्यथा 3, 5, 7, 11, 13, 21 या 33 बार पढ़ें। 11-11-11 सुबह दोपहर( 2 बजे 3 के बीच) और शाम को 7 बजे से पहले कर लें। इस तरह एक दिन में 33 हो जाएंगे।
  • 3-भगवान शिव की पूजा में तीन के अंक का विशेष महत्व है। संभव हो तो तीन बार रुद्राष्टक पढ़ ले। अथवा ॐ नमः शिवाय के मन्त्र से अंगन्यास करें। एक बार अपने कपाल पर हाथ रखकर मन्त्र सस्वर पढ़े। फिर दोनों नेत्रों पर और फिर ह्रदय पर। यह मंत्र योग शास्त्र के प्राणायाम भ्रामरी की तरह होगा।
  • 4-भगवान शिव को 11 लोटे जल अर्पण करें। प्रयास करें कि यह पूरे सावन मास हो जाये। काले तिल,और दूध के साथ।
  • 5-भगवान शिव का व्रत तीन पहर तक ही होता है। इसलिये सात्विक भाव से पूजन करें।
  • 6-यदि विल्व पत्र नहीं मिले तो एक जनेऊ अथवा तीन या पांच कमलगट्टे अर्पित कर दें। ( यह एक बार ही अर्पित होंगे और पूरे मास रखे रहेंगे।)
  • आज 06 जुलाई दिन सोमवार महादेव का महीना है. आज से महादेव का महीना सावन शुरू हो गया है। इस बार सावन महीने की शुरुवात ही सोमवार के दिन से हुआ है। सोमवार भगवान शिव का प्रिय दिन माना जाता है। आज शिव भक्त पहली सावन सोमवार का व्रत रख कर भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे। वहीं, सावन की समाप्ति भी सोमवार के दिन ही हो रही है। सावन महीने की शुरुआत और समाप्ति दोनों ही सोमवार के दिन हो रहा है। सावन भगवान शिव की उपासना का महीना माना जाता है। जो आज से शुरू हो गया है। श्रावण मास के सोमवार बहुत ही सौभाग्यशाली माने जाते हैं। मान्यता है कि सावन सोमवार की व्रत रखने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
    आइए जानते हैं श्रावण सोमवार व्रत की पूजा विधि, कथा, मुहूर्त और मंत्र…

    भगवान शिव को चढ़ाएं दूध, धतूरा और बेलपत्र

    आज से सावन का महीना शुरू हो गया है। आज शिव भक्त पूजा करने में जुटे है। सावन के महीने में भगवान शंकर का ध्यान लगाकर जो भक्त उनकी आराधना करता है, उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और संकटों का सामना नहीं करना पड़ता है। आज शिवालयों में दूध, धतूरा और बेलपत्र चढ़ाएं।

    इन बातों का रखें ख्याल…

    आज सावन का पहला दिन है। वहीं सावन महीने की पहली सोमवारी भी है। आज भगवान शिवजी की पूजा में गंगाजल का उपयोग जरूर करें। शिवजी की पूजा के समय उनके पूरे परिवार अर्थात् शिवलिंग, माता पार्वती, कार्तिकेयजी, गणेशजी और उनके वाहन नन्दी की संयुक्त रूप से पूजा की जानी चाहिए।

    सावन सोमवार व्रत के फायदे…

    सावन के सोमवार को व्रत रखने से दांपत्य जीवन खुशियों से भर जाता है. सावन के महीने में पड़ने वाले सभी सोमवार को व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करने से घर की कलह का नाश होता है। रोगों से मुक्ति मिलती है और पति और पत्नी के संबंधों में मधुरता बढ़ती है

    सावन के 5 सोमवार और शिव के 5 मुख

    श्रावण मास में सालों बाद ये अदभुत संयोग है जब सावन महीने में पांच सोमवार पड़ रहे हैं। ज्योतिष जानकारों के मुताबिक, इस बार पांच सोमवार इसलिये भी अहम है क्योंकि वेद पुराणों में भगवान शिव के भी पांच मुख का वर्णन है. मानव शरीर का निर्माण भी पंच महाभूतों से हुआ है, इसलिये सावन मास में इन पांचों सोमवार को शिव की आराधना करने से सभी के मनोरथ पूर्ण होते हैं

    सावन सोमवार का व्रत रखने वाले पढ़ें ये कथा

    सावन माह के बारे में एक पौराणिक कथा है कि- “जब सनत कुमारों ने भगवान शिव से सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो भगवान भोलेनाथ ने बताया कि “जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था. अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया”
    जानिए आज किन मंत्रों का करना चाहिए जाप
    शिव पुराण के अनुसार शिव-शक्ति का संयोग ही परमात्मा है। शिव की जो पराशक्ति है उससे चित्‌ शक्ति प्रकट होती है। चित्‌ शक्ति से आनंद शक्ति का प्रादुर्भाव होता है, आनंद शक्ति से इच्छाशक्ति का उद्भव हुआ है। ऐसे आनंद की अनुभूति दिलाने वाले भगवान भोलेनाथ का श्रावण मास में इन सभी मंत्रों का जाप करने से सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है…

    शिव के अन्य प्रभावशाली मंत्र

    ओम साधो जातये नम:।।
    ओम वाम देवाय नम:।।
    ओम अघोराय नम:।।
    ओम तत्पुरूषाय नम:।।
    ओम ईशानाय नम:।।
    रूद्र गायत्री मंत्र
    ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।।
    महामृत्युंजय गायत्री मंत्र
    ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम्‌।
    उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्‌ ॐ स्वः भुवः ॐ सः जूं हौं ॐ ॥
    शिव जी का मूल मंत्र
    ऊँ नम: शिवाय।।

    इस मंत्र का जाप करने से हर प्रकार की समस्या से छुटकारा मिलता है।
    कब-कब पड़ रहे हैं सावन के सोमवार
  • सावन का पहला सोमवार आज 25 जुलाई 2021
  • सावन का दूसरा सोमवार 13 जुलाई 2021
  • सावन का तीसरा सोमवार 02 अगस्त 2021
  • सावन का चौथा सोमवार 09 अगस्त 2021
  • सावन का पांचवा सोमवार 16 अगस्त 2021

  • 18 जुलाई को मनाई जाएगी सावन की शिवरात्रि

    बता दें श्रावण मास में शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शिवरात्रि मनायी जाती है। फाल्गुन और श्रावण मास की शिवरात्रि को विशेष फलदायी माना गया है। इस बार श्रावण मास की शिवरात्रि 06 अगस्त को मनायी जायेगी।

    ऐसे करें पूजा
  • इस महीने में सुबह जल्दी उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनकर भगवान शिव की पूजा करें।
  • पूजा स्थान की अच्छी तरह साफ-सफाई करें, और वहां गंगाजल का छिड़काव करें।
  • आसपास के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल व दूध का अभिषेक भी करें।
  • इसके बाद भगवान शिव और शिवलिंग को चंदन का तिलक लगाएं।
  • इसके बाद भगवान शिव को सुपारी, पंच अमृत, नारियल, बेल पत्र, धतूरा, फल, फूल आदि अर्पित करें।
  • अब दीपक जलाएं और भगवान शिव का ध्यान लगाएं।
  • इसके बाद शिव कथा व शिव चालीसा का पाठ कर, महादेव की आरती करें।
  • Happy Sawan Wishes
  • Mahadev Status
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