अगर आप भी करणी माता के परम भक्त हैं तो आपको ये पोस्ट पूरा पढ़ना चाहिए क्योंकि आज की इस पोस्ट हमनें करणी माता के इतिहास के साथ साथ उनके देशनोक मंदिर की भी कुछ महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख किया हैं।
बीकानेर के राठौड़ शासकों की कुल देवी करणी जी ‘चूहों वाली देवी’ के नाम से भी विख्यात है। इनका जन्म सुआप गाँव में चारण जाति के श्री मेहा जी के घर हुआ था। देशनोक स्थित इनके मंदिर में बड़ी संख्या में चूहे हैं जो ‘करणी जी के काबे’ कहलाते हैं। चारण लोग इन चूहों को अपना पूर्वज मानते हैं। यहाँ के सफेद चूहे के दर्शन करणी जी के दर्शन माने जाते हैं। करणी जी का मंदिर मठ कहलाता है। ऐसी मान्यता है कि करणी जी ने देशनोक कस्बा बसाया था।
करणीजी की इष्ट देवी ‘तेमड़ा जी’ थी। करणी जी के मंदिर के पास तेमड़ा राय देवी का भी मंदिर है। कहा जाता है कि करणी देवी का एक रूप ‘सफेद चील’ भी है।
करणी माता के मंदिर से कुछ दूर ‘नेहड़ी’ नामक दर्शनीय स्थल है, जहाँ करणी देवी सर्वप्रथम रही थी। यहाँ स्थित शमी (खेजड़ी) के एक वृक्ष पर माता डोरी बाँधकर दही बिलोया करती थी। इस वृक्ष की छाल नाखून से उतारकर भक्त गण अपने साथ ले जाते हैं। इसे चाँदी के समान शुद्ध माना जाता है। करणी जी के मठ के पुजारी चारण जाति के होते हैं ।
करणीजी के आशीर्वाद एवं कृपा से ही राठौड़ शासक ‘राव बीका’ ने बीकानेर क्षेत्र में राठौड़ वंश के शासन की स्थापना की थी।
करणी माता से जुड़े हुए कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
करणी माता का मंदिर कहाँ हैं ?
देशनोक
करणी माता के इष्ट देवी कौन थी ?
तेमड़ा जी
करणी माता का गांव कौन सा था ?
सुआप गाँव
करणी माता के पति का क्या नाम है ?
देवाजी बीठू