नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम बात करेंगे की प्रतिरक्षा क्या है और प्रतिरक्षा तंत्र किसे कहते हैं और यह शरीर में बाहर से आने वाले रोगाणुओं से हमें कैसे बताती हैं।
प्रतिरक्षा तंत्र क्या है ?
हमारा शरीर दिन भर लगातार रोगाणुओं के सम्पर्क में आता रहता है इनमें से बहुत से रोगाणु हमारे शरीर में प्रवेश भी कर जाते हैं परन्तु हमारे शरीर में पाया जाने वाला विशिष्ट तन्त्र इन रोगाणु को मृत कर हमें रोगों से बचाता है। शरीर के इस अति विशिष्ट तन्त्र को प्रतिरक्षा तन्त्र (Immune system) कहते हैं।
इस तन्त्र का अध्ययन करने वाली जीव विज्ञान की शाखा को प्रतिरक्षी विज्ञान (Immunology) कहते हैं। Immunity शब्द लैटिन शब्द (Immunis) से बना है जिसका अर्थ होता है ‘स्वतन्त्र करना’। एमिल वॉन बेरिंग (Emil Von Behring) को प्रतिरक्षा विज्ञान का जनक कहा जाता है।
प्रतिरक्षी तन्त्र में उन सभी अंगो या कोशिकाओं को शामिल किया जाता है जो देह को सूक्ष्म जीवों या बाह्य पदार्थों के प्रति सुरक्षा प्रदान करते हैं।
मनुष्य में कितने प्रकार की प्रतिरक्षा पायी जाती है ?
1. सहज या अविशिष्ट या जन्मजात प्रतिरक्षा
2. अर्जित या विशिष्ट प्रतिरक्षा
सहज या अविशिष्ट प्रतिरक्षा या प्राकृतिक रोधक क्षमता
यह प्रतिरक्षा जन्म के साथ ही प्राप्त होती है अर्थात् यह माता-पिता से बच्चे में आती है। इसलिये इसे अविशिष्ट या जन्मजात प्रतिरक्षा भी कहा जाता है। इस प्रतिरक्षा में हमारे शरीर में कुछ अंग अवरोधक का कार्य करते है और रोगाणुओं को शरीर में प्रवेश नहीं करने देते हैं और यदि प्रवेश कर जाते है तो विशिष्ट क्रियाएँ उन्हें मृत कर देती हैं।
अर्जित या विशिष्ट प्रतिरक्षा
यह प्रतिरक्षा जन्म के साथ प्राप्त नहीं होती है इसे जन्म के पश्चात् विभिन्न क्रियाओं के द्वारा प्राप्त किया जाता है। इसलिये इसे अर्जित प्रतिरक्षा (Acquired immunity) कहते हैं। इसे विशिष्ट या अनुकूली असंक्राम्यता भी कहते हैं। यह प्रतिरक्षा कशेरूकी प्राणियाँ में ही पायी जाती है। यह प्रतिरक्षा रोगाणु के सम्पर्क में आने से या टीकों के द्वारा प्राप्त की जाती है। जैसे कोरोना वायरस की वैक्सीन
यह हमारे शरीर की तृतीय सुरक्षा पंक्ति (Third defence line ) होती है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि यह अपनी शरीर की कोशिका (Self cell) व बाहर से आने वाली कोशिकाओं को पहचान कर उन्हें मार देती हैं।