गुलजार साहब की कुछ बेहतरीन शायरियां

नमस्कार दोस्तों, अगर आप गुलजार साहब की कुछ बेहतरीन शायरियां और कोट्स खोज रहे हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं आज की इस पोस्ट में हमने गुलजार साहब के 25 फेमस कोट्स या शायरी का कलेक्शन किया है यह लाइन इतनी खूबसूरत है कि आपके दिल के तारों को स्पर्श कर लेंगी। अगर आप गुलजार साहब की एक प्रशंसक है तो आपको हमारी यह पोस्ट जरूर शेयर करनी चाहिए।

Gulzar motivational quotes

सूरज झांक के देख रहा था खिड़की से एक किरण झुमके पर आकर बैठी थी, और रुख़सार को चूमने वाली थी कि तुम मुंह मोड़कर चल दीं और बेचारी किरण फ़र्श पर गिरके चूर हुईं थोड़ी देर, ज़रा सा और वहीं रूकतीं तो

कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं
मगर पहचान छिन लेती हैं।

सुनो…जब कभी देख लुं तुमको तो मुझे महसूस होता है कि दुनिया खूबसूरत है

मैं दिया हूँ मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं।

शायर बनना बहुत आसान हैं बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।

घर में अपनों से उतना ही रूठो कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत, दोनों बरक़रार रह सके।

Gulzar Sahab motivational quotes

सहमा सहमा डरा सा रहता है, जाने क्यूं जी भरा सा रहता है।

कौन कहता हैं कि हम झूठ नहीं बोलते एक बार खैरियत तो पूछ के देखियें

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में,
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में

कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती
जब तक ख़ुद पर ना गुजरे

कैसे करें हम ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं, तुम शर्ते बदल देते हो।

तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं

Gulzar motivational shayari

सीने में धड़कता जो हिस्सा हैं,
उसी का तो ये सारा किस्सा हैं।।

मैं चुप कराता हूं हर शब उमड़ती बारिश को,
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है।

हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं नहीं छोड़ा करते, वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते

एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है, मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में, एक पुराना ख़त खोला अनजाने में

छोटा सा साया था, आँखों में आया था,
हमने दो बूंदों से मन भर लिया

Gulazar motivational status

ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ बस बचपन की जिद्द समझौतों में बदल जाती हैं।

बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे हैं।

कुछ जख्मो की उम्र नहीं होती हैं ताउम्र साथ चलते हैं, जिस्मो के ख़ाक होने तक

सामने आया मेरे, देखा भी, बात भी की मुस्कुराए भी किसी पहचान की खातिर कल का अखबार था, बस देख लिया, रख भी दिया।

बेहिसाब हसरते ना पालिये जो मिला हैं उसे सम्भालिये

रात को चाँदनी तो ओढ़ा दो,
दिन की चादर अभी उतारी है।

एक बार तो यूँ होगा, थोड़ा सा सुकून होगा ना दिल में कसक होगी, ना सर में जूनून होगा

आपको गुलजार साहब की यह शायरीयां कैसी लगी हमें कमेंट में लिखकर जरूर बताना। यह पोस्ट हमने बहुत ही ध्यान पूर्वक लिखी है अगर फिर भी हमसे कोई गलती हो गयी है तो आप हमें कमेंट में लिख कर बता सकते हैं हम तुरंत उसमें सुधार कर लेंगे।

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