डॉ राजेश बाबल का राजनीतिक संघर्ष व जीवनी (Biography)

डॉ राजेश बाबल का जन्म झुंझुनू जिले के गांव हंसासर में 10 जुलाई 1976 को हुआ था।

डॉ राजेश बाबल ने कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई अपने गांव के सरकारी स्कूल में पूरी की तथा उसके बाद कक्षा 9th, 10th और 11वीं की शिक्षा बी एल स्कूल बगड़ में ग्रहण की तथा 12वीं क्लास की शिक्षा झुंझुनू में पूरी की।

स्कूल समय से ही डॉ राजेश बाबल की रुचि भाषण प्रतियोगिता तथा वाद विवाद प्रतियोगिता में रही।

छात्र राजनीति

1992 में सेठ मोतीलाल कॉलेज झुंझुनू में प्रवेश लेने के साथ ही उनकी छात्र राजनीति की शुरुआत हो गयी।

सेठ मोतीलाल कॉलेज में SFI के वर्षों से चल रहे दबदबे को 1994 में डॉ राजेश बाबल (Dr Rajesh Babal) ने सफाया करके और भारी वोटों के अंतर के साथ अध्यक्ष पद पर अपना कब्जा किया। उसके बाद लगातार छात्र हितों के लिए संघर्ष करते रहे।

संघर्ष

सन 2000 में यह आभास हुआ कि झुंझुनू के छात्र प्राइवेट कॉलेजों के द्वारा लूटे जा रहे हैं क्योंकि झुंझुनू के अलावा राजस्थान के लगभग सभी जिला मुख्यालयों पर गवर्नमेंट कॉलेज खुल चुके थे इस संदर्भ में जिले के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष व समस्त छात्र नेताओं ने एक संघर्ष समिति बनाई जिसका निर्विरोध अध्यक्ष डॉ राजेश बाबल को बनाया और यहीं से डॉ राजेश बाबल के राजनीतिक जीवन को नया आयाम मिला।

छात्रों के इस विश्वास को देखते हुए तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ एक बड़े आंदोलन की योजना बनाई और चारों तरफ बंद का आयोजन किया इस आंदोलन से घबराकर जिले के बड़े कांग्रेस नेताओं ने आंदोलन को कुचलने की कोशिश की तथा छात्रों व डॉ राजेश बाबल पर लाठियां बरसाईं और उन पर झूठे मुकदमे दर्ज करवाये गए। और डॉ राजेश बाबल सहित कई छात्र नेताओं को जेल भेज दिया गया।

जेल में डॉ राजेश बाबल ने लगातार 14 दिनों तक आमरण अनशन किया, 14 दिनों की लगातार आमरण अनशन से डॉ राजेश बाबल का स्वास्थ्य बिगड़ गया था।

जिससे डॉक्टरो ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी कि समिति के अध्यक्ष डॉ राजेश बाबल अगर 12 घंटे और भूखे रहे तो उनकी कभी भी मृत्यु हो सकती है। जिससे घबराकर सरकार ने समझौता करने का प्रयास किया।

इसी दौरान भाजपा नेत्री व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया झुंझुनू आकर कॉलेज खोलने का लिखित आश्वासन दिया। इस पर छात्रों ने भारतीय जनता पार्टी को विधानसभा चुनाव में अपना समर्थन देने का वादा किया और भाजपा को समर्थन देकर जिले में पहली बार 3 सीटें दिलाने में अपनी भूमिका का निर्वहन किया।

और उसके बाद वसुंधरा राजे सिंधिया मुख्यमंत्री बनते ही जिले में श्री राधेश्याम आर मोरारका गवर्नमेंट पीजी कॉलेज खोलकर अपने वादे को पूरा किया।

आज शहर और ग्रामीण क्षेत्र के हजारो छात्र RR Morarka College में निशुल्क शिक्षा प्राप्त करते हैं, यह डॉ राजेश बाबल की ही देन है।

राजनैतिक जीवन

झुंझुनू की सबसे बड़े वार्ड, वार्ड नंबर 1 जिस पर वर्षों से कांग्रेस का वर्चस्व रहा उस पर Dr Rajessh Babal ने जीत का परचम लहराया उसके बाद लगातार वार्ड नंबर 12 और वार्ड नंबर 4 से भी जीत हासिल की डॉ राजेश बाबल ने लगातार आठ चुनाव में जीत हासिल करके यह संदेश दिया कि चाहे चुनाव कोई भी हो और कहीं भी हो जनता हमेशा उनके साथ खड़ी मिलती है।

राजनीति के अलावा Dr Rajessh Babal समाज सेवा का कार्य भी करते हैं उनकी संस्था यंग इंडिया सोसाइटी युवाओं के लिए वर्षों से लगातार खेलों का आयोजन करती आयी है तथा युवाओं को खेल में आगे बढ़ाने के लिए मदद करती आई है।

विधानसभा चुनाव

पिछले कुछ वर्षों से डॉ राजेश बाबल विधानसभा क्षेत्र मंडावा व झुंझुनू से बीजेपी के टिकट की मजबूती से दावेदारी कर रहे हैं राजनीति के जानकारों का मानना है कि नरेंद्र खिचड़ के सांसद बनने के बाद डॉ राजेश बाबल ही एकमात्र ऐसा चेहरा है जो रीटा चौधरी को हरा सकता है।

डॉ राजेश बाबल की संघ और संगठन की नजदीकियों को देखते हुए इस बार कयास लगाए जा रहे हैं कि मंडावा विधानसभा से टिकट डॉ राजेश बाबल को ही मिलेगा।

4 thoughts on “डॉ राजेश बाबल का राजनीतिक संघर्ष व जीवनी (Biography)”

    • जनता का तो पूरा Support हैं, देखो पार्टी टिकट देती हैं क्या

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